Inspiration story hindi
एक समय किताब खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे, आज रेलवे में है अधिकारी _ motivation story hindi
पिछले साल जुलाई में ‘सुपर 30’ फिल्म के प्रमोशन के उद्देश्य से मैं अपने भाई प्रणव और कुछ अन्य सहयोगियों के साथ जयपुर गया था। वहां कई अलग-अलग तरह के कार्यक्रमों में शामिल होना था। पूरे दिन की व्यस्तता थी। हमलोग जैसे ही जयपुर एयरपोर्ट के बाहर आए तब मैंने देखा कि कुछ लोग
फूल-माला के साथ इंतजार कर रहें हैं। उस भीड़ में से एक नौजवान ने आकर मुझे फूलों का एक गुलदस्ता देते हुए चरण स्पर्श किया। फिर उसने पूछा कि सर आपने मुझे पहचाना नहीं ? मैं हूं शशि । आपका पुराना शिष्य शशि किरण। सर आपके
आशीर्वाद से मैं यहां रेलवे में अधिकारी हूं। आज मुझे अखबार से पता चला कि आप जयपुर आ रहें हैं, तब भला मैं कैसे रुक सकता था।
मेरे दिमाग में वह दृश्य घूमने लगा जब पहली बार शशि मुझसे मिलने मेरे घर आया था और ठीक उसी तरह से अपना परिचय दिया था जैसे उस दिन दे रहा था। बहुत साल बीत गए, पढ़ाई पूरी होने के बाद शशि रेलवे में वरिष्ठ अधिकारी भी बन गया लेकिन, उसका व्यवहार नहीं बदला था। पटना के
बाहरी इलाके में रहता था शशि का परिवार। उसके पिता अर्जुन प्रसाद की आमदनी इतनी नहीं थी कि अपनी 5 संतानों की जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभा सकें। बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा होता था। शशि बचपन से ही पढ़ने में
होशियार था और खूब मेहनत भी करता था। शशि सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था। लेकिन, वहां नियमित तरीके से पढ़ाई नहीं होती थी। किताब खरीदने के लिए भी पैसे नहीं होते थे। तब शशि अपने दोस्तों से किताब उधार ले लेता था।
घर के नाम पर बस एक कमरा ही था और उसी कमरे में 7 लोग रहते थे। शशि को देखकर उसके सभी भाई-बहन भी पढ़ाई में मन लगाने लगे। जब दसवीं बोर्ड परीक्षा का समय
आया तब फॉर्म भरने के लिए शशि के पास पैसे नहीं थे। पैसे के अभाव में मकान तक बेचने की नौबत आ गयी। अब सवाल था कि अगर मकान बिक गया तब परिवार रहेगा कहां। पिता ने कहीं से कर्ज लेकर काम चला लिया लेकिन, मकान
नहीं बेचा। दसवीं पास करने के बाद सेल्फ-स्टडी करके शशि बारहवीं कक्षा भी पास कर गया था। शशि बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहता था। इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल हुआ लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। फिर उसने
सोचा कि चलो पहले क्लर्क बनने के लिए तैयारी शुरू करते हैं और फिर बाद में आगे कुछ देखा जाएगा। लेकिन उसी समय शशि को सुपर-30 के बारे में पता चला। शशि मेरे पास आ गया। वह खूब मेहनत करने लगा।
जिस दिन शशि की बड़ी बहन की शादी थी उसी दिन एससीआरए का रिजल्ट भी आने वाला था। उस वर्ष सिर्फ 12 विद्यार्थियों का चयन हुआ था। उसमे एक नाम शशि का भी था। वह सब कुछ छोड़कर मेरे पास आया। उसने कांपते हुए बताया कि उसका सपना पूरा हो गया है।
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2. विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी- Motivation story
सुपर-30 के आनंद कुमार के शब्दों में
पिता के पास स्कूल में दाखिले तक के पैसे नहीं थे, बेटा इसरो में बना वैज्ञानिक _ motivation story hindi
सपने एक दिन जरूर सच होते हैं। हां, कभी-कभी थोड़ा ज्यादा वक्त लग सकता है। जरूरत तो सिर्फ इस बात है कि आप पूरे यकीन के सा अपने मिशन पर डटे रहें। प्रभात पाण्डेय भी बहुत ही छोटी उम्र में सपना देखा था। वैज्ञानिक
बनने का अपने देश के लिए कुछ नया करने का लेकिन, निर्धनता की वजह से उसके पिता मिथिलेश पाण्डेय को कभी-कभी अपने बेटे का सपना टूट जाने का डर लगता था। उन्होंने भी कभी एक बड़ा अधिकारी बनने का सपना देखा था। उत्तर
प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले के एक बहुत ही छोटे से गांव में रहता था उनका परिवार उनके पिता पूजा-पाठ करवाते थे। कोई ठोस आमदनी का जरिया नहीं था। अपने दम पर ही
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पढ़ाई की। मिथिलेश पाण्डेय अफसर तो नहीं बन सके, लेकिन संस्कृत के अच्छे जाता जरूर हो गए। गांव में ही कुछ बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया। कुछ दिनों बाद शादी हुई और फिर चार बच्चे भी हो गए। बच्चों को खुद पढ़ाने लगे।
बेटा प्रभात पढ़ने में बड़ा होशियार था। बहुत मेहनती भी था। कुछ न कुछ विज्ञान सम्बंधित मॉडल बनाता रहता था। गांव के बगल में एक छोटा सा प्राइवेट स्कूल था। प्रभात वहां पढ़ना
चाहता था लेकिन, फीस के लिए पैसे नहीं थे। इसलिए प्रभात की पूरी पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही हुई।अब प्रभात हाई स्कूल में पहुंच गया था। पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि उसे विज्ञान विषय पढ़ा सकें। उसकी इच्छा गणित और विज्ञान के बारे में खूब जानकारी रखने की थी। कहीं से कोई सहायता
नहीं मिल रही थी लेकिन, प्रभात में गजब का हौसला था। सेल्फ स्टडी के दम पर ही उसने बोर्ड परीक्षा इतने अच्छे अंकों से पास की कि वह अपने आस-पास के गांव में मशहूर हो गया। पिता को पता था कि प्रभात वैज्ञानिक बनना चाहता है
इसलिए वह चाहते थे कि बेटा आईआईटी से पढ़ाई करे। उन्होंने अपने कई रिश्तेदारों से बातचीत भी की। सभी ने प्रभात को कोटा भेजने की सलाह दी। • मिथिलेश पाण्डेय निर्धन जरूर थे लेकिन, बहुत ही स्वाभिमानी भी थे। उन्होंने किसी के सामने कभी हाथ नहीं फैलाया। इस दौरान वे पैसों
के जुगाड़ के बारे में सोच ही रहे थे कि किसी ने उन्हें सुपर 30 के बारे में बताया। वे प्रभात को लेकर मेरे पास पटना आ गए। उनके हाथ में एक मिठाई का डिब्बा भी था। मैंने एक टेस्ट लिया और में पाया की प्रभात सच में पढ़ने में अच्छा है और
बहुत जुझारू भी है। व्यवहार से सौम्य प्रभात सुपर 30 के बच्चों के साथ-साथ मेरे परिवार के सदस्यों से भी काफी घुलमिल गया था। रिजल्ट के दिन वह बहुत खुश था। आईआईटी के रिजल्ट में उसका नाम था लेकिन, वह जो ब्रांच लेना चाहता था उसे नहीं मिल रही थी। इसलिए वैज्ञानिक
बनने के ख्याल से वह एनआईटी चला गया। वहां खूब मेहनत की और जब नौकरी लगी तब फिर से मिठाई लेकर अपने पिता के साथ मुझसे मिलाने पटना आया लेकिन, वह तो
वैज्ञानिक बनाना चाहता था। इसलिए जहां था वहीं मेहनत करता रहा। इसी बीच उसका सलेक्शन इसरो में हो गया। आखिरकार प्रभात को उसके सपनों की जगह मिल गई।
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प्रेरणादायक कहानी के साथ यह भी जाने
सुपर-30 के आनंद कुमार के शब्दों में
खुद पर विश्वास होना बहुत जरूरी, सफलता की राह इसी से आसान होगी >> motivation story
एक बार सुपर 30 के छात्र फाइनल परीक्षा से करीब छह महीने पहले आपस में कुछ बातें कर रहे थे। तभी में वहां आ पहुंचा, उनके चेहरों पर थकान देख मैंने कारण पूछा तो बच्चों ने कहा पढ़ते-पढ़ते थक गए हैं, कभी यह लगता है कि परीक्षा में बहुत मुश्किल होगी। मैंने उनसे एक सवाल पूछा, अच्छा यह बताओ कि जीवन में क्या करना चाहते हो क्या हासिल करना
चाहते हो? सभी छात्रों ने लगभग एक जैसा ही जवाब दिया। किसी ने कहा कि वह बहुत पैसा कमाना चाहता है, किसी ने कहा कि बहुत नाम कमाना चाहता है, किसी ने कहा कि दुनिया के लिए बहुत कुछ करना चाहता है। इन सबके जवाब
में एक बात कॉमन थी कि हर कोई जीवन में किसी ना किसी तरह की सफलता चाहता था, हर कोई अपने जीवन में जीत हासिल करना चाहता था। 2010 के उस बैच में सभी तीस छात्र आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में सफल हुए थे। मैंने सभी
को एक बात समझाई कि देखो तुम्हारी जिंदगी एक बहुत ही अच्छी कहानी है। इसे खुद जितना अच्छी तरह लिख सकते हो लिख डालो। कुछ बच्चों ने कहा था कि अच्छी कैसे है,
हमारा बचपन तो बहुत ही अभाव में गुजरा, माता पिता बहुत ही गरीब है, आर्थिक तंगी की वजह से कुछ नहीं कर पाते हैं। मैंने उन बच्चों को समझाया कि जिसके पास पहले से ही सब कुछ है वह
कभी इतिहास नहीं बनाता। जो बार-बार गिरकर उठता है और बिना रुके चलता रहता है वही इंसान इतिहास बनाता है। तुम बहुत बड़ा कर सकते हो, कुछ भी कर सकते हो, अपने जीवन
की कहानी खुद लिख सकते हो। आप सफल हो गए तो लोग आपकी बातों को सुनेंगे, आपकी बातों को समझेंगे और आपका अनुसरण भी करेंगे। लोग आपकी कहानी से प्रेरणा
लेंगे, उसका उदाहरण देंगे। अपने जीवन की कहानी लिखने के लिए इंतजार न करो, आज से ही उसकी शुरुआत कर दो। अपनी मानसिकता को बदलकर अपने आप पर भरोसा करें, खुद पर यह यकीन करें कि आप अपने जीवन की कहानी खुद लिख सकते हैं, कुछ बड़ा कर सकते हैं। यह समय बहाना
बनाने के नहीं बल्कि हरकत में आने का है। राह में चलते हुए गिरना बड़ी बात नहीं, पर बार-बार गिरने के बाद भी उठकर चलते रहना बहुत बड़ी बात है। बार-बार गिर रहे हैं कोई बात नहीं, हर बार फिर से उठकर चलते रहिए। अगर संघर्ष किया तो हर हाल में सफलता मिलेगी। जब अपने जीवन की कहानी
लिखना शुरू करेंगे आपके मन में एक सपना आएगा, आपके सामने एक मकसद होगा, फिर आप संघर्ष करते हुए कठिन से कठिन राह से गुजरकर बदलाव लाएंगे। जीवन का मकसद ही आपको आगे ले जाएगा। अगर आप अपनी कहानी लिखना ही नहीं शुरू करेंगे तो कुछ करेंगे कैसे, आगे कैसे बढ़गे। कोई
व्यक्ति किसी भी काम की शुरुआत करता है तो शुरू में बहुत बढ़िया नहीं कर पाता। पर आपको अपनी नाकामी से भी सीख लेकर आगे बढ़ते रहना होगा। मैंने कई लोगों को कहते सुना है कि आगे से मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करुंगा।
आप सोचिए मत, कहिए मत, सोचने और कहने की जगह आज से ही करना शुरू कर दीजिए। इसके बाद जीवन में बदलाव आएगा सुख की अनुभूति होगी। शुरुआत कीजिए अपने जीवन की कहानी लिखने की आज से और अभी से ही। motivation story