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TOP 10 success stories in Hindi 2021| motivational success stories in Hindi | success stories in Hindi for students
सफलता का राज
दूसरे विश्वयुद्ध में जापान के विरुद्ध अमेरिका ने परमाणु बम का प्रयोग किया।
के राष्ट्रीय गुणों को जानना होगा। जानेंगे, तो पता चलेगा कि वहां की जनता के स्वाभाविक गुण और चरित्र ही इसका राज हैं। इस तथ्य से जुड़ी एक प्रेरक कथा है।युद्ध की समाप्ति के बाद, एक अमेरिकी व्यापारिक संस्था ने अपनी शाखा जापान में खोली। अमेरिकी लोग थोड़े समय काम करके कम मेहनत में बहुत पैसा कमा लेते हैं। अमेरिकी संस्था ने अपनी जापानी शाखा में सब कर्मचारी जापानी
रखे। अमेरिकी कानून के अनुसार सप्ताह में केवल पांच दिन काम करने का निश्चय किया गया। सप्ताह के दो दिन – शनिवार और रविवार को छुट्टी रखी। अमेरिकी व्यापारी का ख्याल था कि उसकी उदारता का जापानी कर्मचारी और कारीगर स्वागत करेंगे, परंतु संस्था के व्यवस्थापक को क यह देर अचम्भा हुआ कि सभी जापानी
कर्मचारी इस व्यवस्था का सामूहिक विरोध कर रहे हैं।उसने कर्मचारियों को बुलाया और पूछा – ‘तुम लोगों को क्या कष्ट है, जो विरोध कर रहे हो?’ जापानी कर्मचारी एक स्वर में बोले, ‘हमें कष्ट है। हम दो दिन खाली नहीं रहना चाहते। हमारे लिए सप्ताह में एक दिन का अवकाश ही पर्याप्त है।’
‘ऐसा क्यों?’ पूछने पर जापानी कर्मचारियों में से एक ने सबके विरोध का कारण बताया, आपका ख्याल है कि अधिक आराम से हम प्रसन्न होंगे? नहीं, यह बात ठीक नहीं है। अधिक आराम से हम आलसी बन जाएंगे, मेहनत के काम में हमारा मन नहीं लगेगा, हमारा स्वास्थ्य गिरेगा, हमारा राष्ट्रीय चरित्र
‘आप जापानी भाइयों की समृद्धि और सफलता का रहस्य आपका परिश्रम और आपकी लगन है। आप कभी बीमार और ग़रीब नहीं हो सकते।’-प्रेरक संजना चौधरी
2 success stories in hindi प्रेरक कहानी इन हिंदी
जिंदगी में जब कोई चमत्कार न दिखे, तो खुद किसी के लिए चमत्कार बनें।
जो नजरों के सामने दिखता है, उसी आधार पर हम अपना दृष्टिकोण बना लेते हैं, विश्वास कायम कर लेते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि जो सामने दिख रहा है, वह हमेशा सही ही हो। बचपन में मेरी जिंदगी का कोई उद्देश्य नहीं था। आठ साल की उम्र में मैंने आत्महत्या करने का विचार किया
क्योंकि मैं उसी पर विश्वास करता था, जो मुझे दिखता था। मुझे दिखता था कि मेरे हाथ-पैर नहीं है और तब जीवन में आई उम्मीद और इस उम्मीद के सहारे मैंने अपनी जीवन की पटकथा लिखी। ऑस्ट्रेलिया के मशहूर प्रेरक वक्ता और लेखक निक वोयचिच बता रहे हैं कि कैसे उम्मीदों से जीवन के रास्ते मिलते जाते हैं।
1,उम्मीद हमेशा होती है… अगर विश्वास नहीं करेंगे, तो शायद वह चीज हासिल न कर पाएं, जो चाहते हैं। कोई कहे कि बाहर तोहफे में फरारी खड़ी है और अगर मैं विश्वास ही न करूं, तो बाहर नहीं जाऊंगा। क्या पता सच में फरारी खड़ी हो!
2। किन चीजों की उम्मीद रखें… सिर्फ रुपयों-पैसों पर केंद्रित उम्मीदें पूरी नहीं होती। आज अगर आप अपनी संभावनाओं का भरपूर इस्तेमाल करके सर्वस्व देने को तैयार हैं, तो इस बात की पूरी उम्मीद है कि कल आप अपने उद्देश्य में सफल success होंगे।
3 प्रेम से भी आगे है उम्मीद… आपकी जिंदगी में कुछ लोग ऐसे होंगे, जो आपको हमेशा नीचा दिखाएंगे। प्यार से गले लगाने पर वे जख्म छुप जाते हैं। लेकिन जब जिंदगी में दोनों ही चीजें नहीं होती, तब आती है उम्मीद। उम्मीद प्रेम की..बेहतरी की।
4।उम्मीद में कदम बढ़ाते रहिए...मैं बचपन से अपने जैसों को खोजता था। एक बार मेरे जैसा 19 महीने का बच्चा दिखा। उसके पिता को बुलाया। सभी आंसू बहा रहे थे। जिंदगी में जब कोई चमत्कार न दिखे, तो खुद किसी के लिए चमत्कार बनें।
3 success stories in hindi विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी
.जब एआर रहमान से पूछा गया कि संगीत आपको जन्मजात तोहफे में मिला है या आपको मिली ट्रेनिंग से इसमें निखार आता गया? रहमान का जवाब था- ‘अगर 10,000 घंटे प्रैक्टिस करें तो जीनियस बन सकते हैं और मैं इसे मानता हूं। अगर आपको खुद पर यकीन है, तो हमेशा सफलता मिलेगी।’ रहमान की ट्रेनिंग 11 साल की उम्र से तब शुरू हुई जब मां करीमा बेगम ने
पिता के गुजरने के बाद उन्हें संगीत सीखने के लिए धनराज मास्टर के पास भेजा। रहमान जब नौ साल के थे तब पिता आरके शेखर नहीं रहे। वो 60 और 70 के दशक में मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का बड़ा नाम थे। रहमान ने बचपन से संगीत को जिया था क्योंकि पिता संगीतकार थे और घर में हारमोनियम, पेडल ऑर्गन, छोटा पियानो
और कई सिंथेसाइजर थे। संगीत के प्रति गंभीरता तब आई जब पिता के गुजर जाने से घर की जिम्मेदारी उन पर आ गई। पिता के साज किराए पर देकर घर का गुजारा हो रहा था और मां चाहती थीं कि रहमान पिता जैसा काम करें। रहमान ने संगीतकार इलियाराजा के गुरू धनराज मास्टर के अलावा जैकब जॉन से भी
संगीत सीखा। नित्यानंदनम से उन्होंने नोट्स लेना सीखा। दिवाकर मास्टर से गिटार सीखा। गुलाम मुस्तफा साब और टीवी गोपालकृष्णन ने भी उन्हें खूब सिखाया। हिन्दुस्तानी संगीत कृष्णानंद से और कर्नाटक संगीत दक्षिणामूर्ति स्वामीगल से जाना। सीखने के साथ ही वो काम भी किया करते थे। लगभग दस साल तक उन्होंने हर रोज अलग
संगीतकार के साथ रिकॉर्डिंग की। यहबड़ा अनुभव था। यह वो जमाना था जब तीन दिन में गाना रिकॉर्ड होता था और रिकॉर्डिंग पर 20 लोग हुआ करते थे। एक बड़ी मशीन पर एक ट्रैक रिकॉर्ड होता था, अब रहमान आईफोन पर ही मल्टी ट्रैक रिकॉर्ड कर लेते हैं। 1987 में रहमान को पहला ब्रेक मिला। उन्हें ऑलविन घड़ियों के लिए
जिंगल तैयार करना थी। इसके बाद उन्हें काम मिलने लगा और दो साल में उन्होंने घर के पीछे अपना स्टूडियो शुरू किया। 1991 में रहमान अपने कॉफी जिंगल के लिए अवॉर्ड लेने एक समारोह में गए, तो वहां उनकी मुलाकात निर्देशक मणीरत्नम से हुई। मणी ने ‘रोजा’ के लिए उन्हें संगीतकार चुन लिया। रोजा’
से ज्यादा हिट इसका संगीत हुआ। रहमान को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला। 2008 में ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ के गाने ‘जय हो’ ने उन्हें ऑस्कर अवॉर्ड दिलाया और वो विश्व प्रख्यात हो गए। अपने सफर के बार में रहमान कहते हैं ‘संगीत ने मुझे सिखाया है कि खुद में सुधार करते रहो। खुद में सुधार करते रहने के लिए ये जिंदगी भी कम है।
दिलीप कुमार से रहमान 23 साल की उम्र तक एआर रहमान का नाम दिलीप कुमार था। 1984 में दिलीप की छोटी बहन गंभीर बीमार हुईं। एक सूफी संत ने उनका सफल इलाज किया। इससे वो काफी प्रभावित हुए। 1989 में उन्होंने इस्लाम अपना लिया और नाम अल्लाह रक्खा रहमान किया। संगीत और धर्म रहमान कहते हैं
– मैं सूफी मुस्लिम हूं। मैं वो संगीत तैयार करता हूं जिससे अच्छे वाइब्रेशन्स पैदा हों क्योंकि समाज के लिए कला बेहद खास है। मैं वो फिल्में नहीं करता जो दूसरे धर्मों की बुराई करती हैं या जिनसे बुरा माहौल पैदा होता है।
मोटिवेशनल कहानी
तुम यह नहीं कर सकते
दो पक्के दोस्त थे। एक ही उम्र 10 साल थी, दूसरे की 6 साल। एक दिन खेलते-खेलते बड़ा लड़का कुएं में गिर गया। छोटे लड़के ने देखा कि मदद के लिए दूर-दूर तक कोई नहीं था। तब छोटे ने पास पड़ी बाल्टी रस्सी कुएं में डाल और बड़े से उसे पकड़ने को कहा। फिर छोटा लड़का उसे ऊपर खींचने लगा।
बहुत कोशिश के बाद अपनी पूरी ताकत झोंककर, छोटे ने बड़े को बाहर निकाल दिया। दोनों ने सोचा कि गांव जाकर यह बात सबको बताएंगे, तो सब नाराज होंगे। लेकिन हुआ उल्टा। सभी ने उनकी बात को मजाक मानकर कहा, 6 साल का छोटा-सा लड़का, इतने बड़े लड़के को खींचकर कैसे निकाल सकता है।
लेकिन गांव के एक होशियार बुजुर्ग को बच्चों की बात पर यकीन था। सभी को हैरानी हुई। उन्होंने बुजुर्ग से पूछा, ‘आपको क्यों लगता है कि बच्चे सच बोल रहे हैं और छोटा बच्चा ऐसा कर सकता है?’ बुजुर्ग बोले, ‘छोटा बच्चा ऐसा कर पाया क्योंकि तब उसके आसपास कोई यह कहने के लिए नहीं था कि तुम यह नहीं कर सकते। यहां तक कि उसने भी खुद से ऐसा नहीं कहा।
सीख: शब्दों में बहुत ताकत होती है। ये इतना प्रेरित कर सकते हैं कि व्यक्ति असंभव को संभव कर दे।
5 success stories in hindi- मोटिवेशनल स्टोरी इन हिंदी फॉर स्टूडेंट्स
हारने पर बुरा लगता है। हम सभी जीतना चाहते हैं। लेकिन मुझे हमेशा इस बात से प्रेरणा मिलती है कि मुझे देश के लिए कुछ करना है और मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देती हैं। मैं जब भी हारती हं तो और ज्यादा सीखती हूं, ज्यादा मेहनत करती हूं और खुद से कहती हूं कि मैं कुछ कर सकती हूं।
• जब लोग कहते थे कि मैं यह नहीं कर सकती,तो मैं इसे चुनौती मानती थी। बॉक्सिंग में अनुशासन बहुत जरूरी है। यह आत्मविश्वास देता है। मुझे यकीन था कि अगर मैं नियमित ट्रेनिंग करूंगी, तो मुझे जीत जरूर मिलेगी। और मैंने जीत हासिल की।
2.अगर मैं तीन बच्चों की मां होकर मेडल जीत सकती हूं, तो आप भी जीत सकते हैं। बस कभी हार न मानें। अपनों का साथ भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। मुझे अपने परिवार और दोस्तों का बहुत साथ मिला। वे हमें जीत का आत्मविश्वास देते हैं और हारने पर उत्साह बनाए रखते हैं।
6. रियल लाइफ स्टोरी इन हिंदी
1. उत्साह के तेज से युवक सूर्य के तेज का भी सामना कर सकता है। 11 सफलता वा हमारे जीवन के लिये शेक्सपीयर ने लिखा है-‘” जिस काम से हमें खुशी मिलती हैं वह हमारी बिमारियों के लिए अमृत के समान औषधि है, उससे हमारा मन शान्त होता है।
किसी काम में उत्साह ही उस कार्य का प्राण है। उदास या उत्साहहीन होकर कोई भी कार्य कर पाना कठिन है। यदि आप का या हमारा किसी काम मैं मन न हो तो हमारी मानसिक शक्तियों का कार्य में सहयोग ही नहीं मिल पाता । हम कुछ करते है हाथ कुछ ओर काम करते हैं तो मन कहीं भटकता है।
ओर हमरा शरीर जूझते रहता हैं और इस प्रकार जो काम 15 मिनट लगे उसी में 1 hours लग जाता हैं । ओर इतने पर भी काम अच्छा नहीं हो पाता। यह कहने मे कोई हरज नही की उत्साह वह आग है, जो हमारे कार्य-रूपी इंजन को चलाने के लिए डिजल पैट्रोल का काम करती है।
सिकन्दर युवक उम्र का ही होगा , जब उसने यूरोपियन सभ्यता को नष्ट करने वालों की ईट से ईट बजा दि 33 साल की उम्र मे ही विश्व विजेता कहलया नेपोलियन कुल 25 वर्ष की उम्र का ही होगा जब उसने इटली देश पर जीत हाशिल कर ली थी।
एक और उदाहरण सेम्युअल ने तो मात्र 20 वर्ष की ही उम्र में ही रोमन साम्राज्य की स्थापना कर दी थी। सर आइज़ैक न्यूटन की बात करते हैं तो उन्होने 21 साल के भी नहीं थे जब उन्होने अपने सबसे महत्त्वपूर्ण आविष्कार कर दिये थे। जेसे -गुरुत्वाकर्षण का नियम । न्यूटन ने संवेग तथा कोणीय संवेग दोनों के संरक्षण के सिद्धांतों को स्थापित किया ओर बहुत से
चलो..मार्टिन लूथर की बात करते है इन्होनें भी इक्कीस वर्ष की आयु में ही महान सुधारक बन गये थे ।बही दूसरी ओर 21 साल के चेटर्स्टना की प्रतिभा का समान कोई अंग्रेज कवि नहीं कर सका था। एक ओर महान पुरुष विक्टर ह्यूगो ने तो केबल सिर्फ अपना एक नाटक केवल 15 साल की आयु में ही लिख दिया था। उन्होनें इतनी कम आयु में कई बड़े बड़े पुरस्कार प्राप्त किए।
एक रेवड़ी का राजा ( चंद्र विक्रमादित्य ) हेमू जो आपने आप मे दूसरे राजाओं के लिये चुनौती था जिसने करीबन 52 युध्द जीते थे जो कभी नही हारा था पर उस का मुकाबला एक 14साल( अकबर) के बच्चे ने हारा दिया , ओर अपनी मात्र 14 साल की उम्र में दिल्ली की गद्दी पर शासक किया ओर एक महान शासक बना
हर दिन एक ऐसी चीज करें जो आपको डराती है