Heart Touching Teachers Day Quotes in Hindi 2022

जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए दोनों तरह के गुरु जरूरी हैं, ऐसे गुरु जो हमें आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों तरह का ज्ञान दे सकें।

Teachers Day Quotes in Hindi

#डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहे
जानते हैं की क्या कहें हैं हमारे लिये

1।केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।

2• उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है। हम उतने ही नौजवान या बूढ़े हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।

3• पुस्तकें वो साधन हैं जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।

4• कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए, जहां से अनुशासन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो । तभी हम निरंतर तरक्की कर पाएंगे।

5• शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए, जो परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।

6• किताब पढ़ना हमें एकांत में विचार करने की आदत और सच्ची खुशी देता है।

7• कोई भी जो स्वयं को सांसारिक गतिविधियों से दूर रखता है और इसके संकटों के प्रति असंवेदनशील है, वो वास्तव

में बुद्धिमान नहीं हो सकता।

8• मनुष्य को सिर्फ तकनीकी दक्षता नहीं बल्कि आत्मा की महानता प्राप्त करने की भी जरूरत है।

9• ज्ञान हमें शक्ति देता है, प्रेम हमें परिपूर्णता देता है।

शिक्षा और संदेश टीचर कोट्स इन हिंदी

1 • रोजाना नया सीखिए, हमें समाज में आगे रखने के लिए जरूरी है।

2 • अभ्यास कीजिए परफेक्शन के लिए प्रेक्टिस ही अकेला टूल है

3 • लक्ष्य बनाइए लक्ष्यहीन प्रयास निरर्थक ही साबित होते हैं

4 • प्रयोग कीजिए हर नया प्रयोग नई सीख-नई उपलब्धि दे जाता है

5 ‘ज्ञान हमें शक्ति देता है और प्रेम परिपूर्णता देता है’

#हर शिक्षक के सम्मान में

शिक्षक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह हमें खुद को पढ़ना सिखाते हैं। वे जीवन की बुनियाद ज्ञान और विज्ञान की नींव पर रखते हैं।
1-डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

एक अच्छा शिक्षक अपने छात्रों के लिए पढ़ाई आसान बना देता है।

शिक्षक के जाने के बाद भी छात्र उनके पढ़ाए पाठ के बारे में सोचते रहते हैं। कोई पढ़ाने का दबाव महसूस करके अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता। शिक्षक के लिए पढ़ाना धर्म है, यह पेशा वह दबाव में नहीं, आत्मा की प्रेरणा से अपनाता है।
2#तिरुवल्लुवर

शिक्षक ही हमारे मन में सवाल पैदा करते हैं और फिर वे ही उन सवालों का जवाब बन जाते हैं।

हमने सीखा है कि शिक्षक हमें सिखाते हैं, लेकिन सीखना तो सबसे नैसर्गिक बात है। शिक्षक हमारे सीखने की क्षमता को मांझते हैं। वे हमें बताते हैं कि क्या सीखना है, कितना सीखना है और क्यों सीखना है।

3# मारिया मॉन्टेसरी

आपको अंदर से बाहर की ओर बढ़ना है। कोई

भी आपको सिखा नहीं सकता, कोई आपको

आध्यात्मिक नहीं बना सकता। यह काम सिर्फ आपकी आत्मा कर सकती है। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई दूसरा शिक्षक नहीं है। शिक्षक आपकी आत्मा का संरक्षक है। और वही आपकी आत्मा को जागृत करता है।

#4- स्वामी विवेकानंद

शिक्षक ने सिखाया है कि यदि दो अन्य लोगों के साथ चलो तो उन दोनों को ही अपने शिक्षक के रूप में देखो।

मैं एक की अच्छी बातों को चुनूंगा और उनका अनुकरण करूंगा। मैं दूसरे की बुरी बातों व कमियों को देखूंगा और उनसे बचने की कोशिश करूंगा। इन कमियों को मैं खुद में से दूर करूंगा।

#5- कनफ्यूशियस

/44शिक्षक और छात्र के बीच सिर्फ किताब के पन्ने नहीं होते हैं…इन पन्नों में जिंदगी होती है

उन फरिश्तों के सम्मान में, जो अज्ञानता के इस अंधेरे में हमें प्रेरणा की रोशनी दे रहे हैं।

# मेरे शिक्षक मेरे निर्माता

शिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जागृत कर दे वही सच्चा शिक्षक है। सही-गलत का भेद बताकर शिक्षक ही समाज और देश के विवेक को भी जागृत करता है। शिक्षक जब कहते हैं- पढ़ो,. बढ़ो और करो तो ये सिर्फ उनके निर्देश नहीं होते, इन तीन शब्दों के पीछे एक रचनाकार का मन होता है, जो सिर्फ बच्चे का ही नहीं एक समाज और एक राष्ट्र का भी निर्माण कर रहा होता है। इन शब्दों में भविष्य देख सकने की क्षमता होती है। देखिए, कैसे शिक्षकों के शब्द दिग्गज हस्तियों की प्रेरणा बने।

#1डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

शिव सुब्रमण्यम अय्यर थे जिन्होंने मुझमें भौतिकी पढ़ने की ललक जगाई

मेरे गांव में तो गिने-चुने लोग ही विमानों पर चर्चा कर सकते थे। मेरी जिज्ञासा शिक्षक शिव सुब्रमण्यम अय्यर ने शांत की। तब मैं पांचवीं कक्षा में था। एक दिन उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर चित्र बनाकर बताया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं। पक्षी कैसे अपने पंख फैलाते हैं, पंखों और पूंछ का उपयोग कर दिशा बदलते हैं। उड़ान के पीछे कौन-सा बल होता है। विमान इसी सिद्धांत के आधार पर उड़ता है। एक घंटे के इस सबक के बाद मैं पक्षी की उड़ान का रहस्य समझ गया। मेरे शिक्षक ने मुझे जीवन का उद्देश्य दे दिया। मुझे भौतिक विज्ञान का महत्व समझ में आ गया। -2003 में एक संबोधन में कहा

#2अमिताभ बच्चन

फ्रैंक ठाकुरदास ने मुझे स्टेज पर बोलना, भाव प्रकट करना सिखाया

मुझे आज भी याद है कि प्रोफेसर फ्रैंक ठाकुर दास ने मुझसे कॉलेज की ड्रामा सोसायटी द्वारा आयोजित में बिना देर किए भाग लेने के लिए कहा था। फ्रैंक ठाकुरदास, दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में इंग्लिश पोएट्री के शिक्षक थे। पहली मुलाकात में ही वे मेरे मेंटर बन गए थे। उनकी वजह से ही मैंने थिएटर की दुनिया की एबीसीडी सीखी। जैसे स्टेज पर कैसे संवाद बोलना होता है और अभिनय के दौरान किसी भी किरदार के हाव भाव किस तरह अभिव्यक्त करना है, सीखा था। वे शानदार अभिनेता और निर्देशक थे।

-2017 में दिए गए एक साक्षात्कार में

#3अजीम प्रेमजी

केनेथ डायर से मैंने सीखा अनुशासन का महत्व क्या होता है

मुंबई के सेंट मैरी स्कूल में सभी आय वर्ग और पृष्ठभूमि के परिवारों के बच्चों का समावेश था। यहां शिक्षण के उच्च मानक के साथ खेल पर भी बहुत जोर था। एक शिक्षक थे केनेथ डायर वे हमें अंग्रेजी और गणित पढ़ाया करते थे। मैं उनसे पहली बार सातवीं कक्षा में मिला था। वे असाधारण व्यक्ति थे। मैं उन्हें हमेशा याद करता हूं, क्योंकि मैं जीवन में जितने भी शिक्षकों से मिला वे सबसे ज्यादा अनुशासित और अपने छात्रों का ध्यान रखने वाले थे। उनके ये गुण मैं ‘कभी नहीं भूल सकता। उनके सेवानिवृत्त होने के बाद भी मैंने हमेशा उनसे संपर्क बनाए रखा। *2006 में एक साक्षात्कार में

#4$• लता मंगेशकर

मास्टर गुलाम हैदर ने मुझे प्लेबैक सिंगिंग की बारीकियां सिखाई

लता मंगेशकर अपनी जिंदगी में पिता के अलावा चंद शिक्षकों के नाम लेती हैं। उनमें मास्टर गुलाम हैदर का नाम सबसे प्रमुख है। वे कहती हैं- मैं पार्श्वगायिका बनने के लिए संघर्षरत थी, उस समय मुझमें मास्टर गुलाम हैदर ने सबसे ज्यादा विश्वास जताया। उन्होंने मुझे सिखाया कि गीत के बोल साफ हों। हिन्दी और उर्दू का उच्चारण बिल्कुल साफ और स्पष्ट हो। जब भी किसी धुन में कोई बीट आती है, तो वहां जो बोल आए, उसे माइक पर क्रास करके गाया करो। इससे बीट की जगह आने वाली आवाज सॉफ्ट टोन में सुनाई देगी। आवाज फटनी नहीं चाहिए।

सोत- वतींद्र मिश्र की किताब लता सुरगाया

#5.सुंदर पिचई

बिल कैंपबेल ने मुझे खुद से सवाल पूछना

सिखाया था

बिल कैंपबेल कोलंबिया विश्वविद्यालय के फुटबॉल कोच थे। फिर वे बिजनेस कोच बने। जब भी वे मुझसे मिलते हमेशा एक सवाल जरूर करते- इस सप्ताह किन बंधनों को तोड़ा है? उनके सवाल का मतलब होता था कि इस सप्ताह किन रुकावटों को तुमने खत्म किया। अपने में क्या सुधार किया। यह सवाल अहम बन गया। जब भी कोई मामला किसी लीडर के सामने आता है तो समाधान के लिए विकल्प भी उसके पास होते हैं। इन विकल्पों के साथ बहुत कुछ दांव पर होता है, त्रुटियों के महत्वपूर्ण परिणाम हो सकते हैं।
– जस्टिन बारिसों को दिए एक साक्षात्कार में

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