माँ के हैं श्रृंगार पिता । बच्चों के संसार पिता।। माँ आँगन की तुलसी है। द्वारे बंदनवार पिता ।। घर की नीव सरीखी माँ। घर की छत-दीवार पिता । माँ कर्त्तव्य बताती है। देते है अधिकार पिता ।।
आँखों के सामने हर पल पाया है,अपने दिल में सिर्फ उसको ही बसाया है, • जियें बिना उसके तो कैसे जियें भला कोई अपने पापा बिना भी जी पाया है.Happy Fathers Day