महालक्ष्मी अष्टकमलक्ष्मी की सबसे सशक्त आराधना

By Brajmohan           Oct 22, 2022

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पुराणों में कथा है कि लक्ष्मीजी की कृपा पाने के लिए इंद्र ने महालक्ष्मी अष्टकम की रचना और पाठ किया था। इस तरह इंद्र

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ने स्वर्ग का राज पाया। महालक्ष्मी अष्टकम के आठ दोहों में लक्ष्मी के स्वरूप का वर्णन है

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नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते । शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ।।1।। भावार्य- आप श्रीपीठ पर विराजित हैं, देवता आपको

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पूजते हैं। आप महामाया है। हे महालक्ष्मी आप हाथों में शंख, चक्र और गदा रखती हैं। आपको प्रणाम नंमस्ते गरुडारूदे कोलासुरभयंकरि । सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ।।2।। भावार्थ-

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आप गरुड़ पर विराजित रहती है और कोलासुर दानव को भय देने वाली हैं। आप ही सभी पापों को हरती हैं। भगवती महालक्ष्मी आपको प्रणाम।

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सर्वज्ञे सर्वधर सर्वदुष्टमयंकरित सर्वदुख हरे देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥३॥ भावार्य आप सब कुछ जानती हैं। सबको वर देने वाली, सभी दुष्टों को भय देने वाली और दुःखों को दूर करने वाली हैं। आपको नमस्कार ।

By Brajmohan           Oct 22, 2022

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सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्ति प्रदायिनी। मन्तमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ॥4॥ भावार्थ- आप सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हैं। भगवती महालक्ष्मी! आपको प्रणाम।

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आयंतरहिते देवि आयशक्ति महेश्वरि । योगजे योगसंभूते महालक्ष्मी नमोऽस्तुते ।।5।। मावार्य हे आदिशक्ति आपका न कहीं आरंभ है और न ही कहीं अंत है। हे महेश्वरी। आप योग से प्रकट

By Brajmohan           Oct 22, 2022

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हुई है। भगवती महालक्ष्मी आपको प्रणाम। स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे। महापापहरे देवि महालक्ष्मी नमोस्तु ते॥6॥ भावार्य- आप स्थूल है, सूक्ष्म है। आप महारुद्र का रूप है। आप महाशक्ति है। आप बड़े-बड़े पापों