Laxmi mata gar kese aaye
Type of maa laxmi
अन्न लक्ष्मी 1.जल ना हो तो धरती पर अनाज का उत्पादन संभव नहीं है लक्ष्मी के 8 परस रूप में एक धान्य लक्ष्मी है जो प्रतीक रूप से समझाती है कि अन्य केवल धन है
4. जगत पालक अपने पति विष्णु की शक्ति से लक्ष्मी ही खेतों में, वनो, उपवनो मेँज सगीत में। में। और पुण्यतित्री बन गई एक्सप्रेस है।
5.देवी लक्ष्मी और कमल एक दूसरे के पर्याय से पुराणों में लक्ष्मी के 1008 नामों में बहुसंख्यक कमल आधारित हैं ‘कमलासना’ कमलानिनिवात ‘कमलाक्षी’ कमला और, पद्मिनी ‘पदमालिनी’ पद्मा प्रिया प्रिया आदि उनके उदाहरण हैं वे पंकज अर्थात कीच कमल में नहीं हैं। बल्कि जल जल कमल में विराजते हैं जो निर्मलता शुचिता और विस्तार का प्रतीक बन मंगलकारी है
कमल भारतीय संस्कृति में सौंदर्य और सौन्दर्य का प्रतीक है और यही एक महत्वपूर्ण है जो सभी देवी देवताओं से संबंध है भारत का राष्ट्रीय पुष्प मंगल ही जो भारत भूमि के बारे में है। लक्ष्मी से निहाल होने का परिचायक है
6. कमल की महिमा का बोध हमें इंस्टैट करता है कि हम जो धन कमाए वह कमल की तरह ही शुभ और विस्तार के प्रकाश से पुष्पित हुआ हो तभी वह फलित भी होता है
बल लक्ष्मी
7. महाभारत में लक्ष्मी ने स्वयं अपने श्री मुख से राज प्रहलाद से कहा कि मैं बल्कि अनुदामिनी हूं।
इस अर्थ में जिसके पास बल है उसी के पास लक्ष्मी होती है लेकिन बल का आश्रय केवल शस्त्र बल नहीं है बल्कि ‘सील’ सदाचार ‘सत्य धर्म’ और चरित्र ‘बल के साथ आरोग्य वल’ से है इसी कारण स्वस्थ को सर्वोत्तम धन ‘कहा। । । गया है।
8. उत्तम स्वास्थ्य वातावरण की स्वच्छता और प्रकृति को प्रदूषण रहित रखने के रूप में ही पाया जा सकता है समिति और अजीत जीवन शैली और अपने आसपास के वातावरण की शुद्धि के प्रति व्यवहारिक से ही हम लक्ष्मी बन सकते हैं।
9. अस्वच्छता प्रदूषण और अनियमित जीवनशैली दरिद्र लक्ष्मी लाते हैं जबकि सील का बल और कर्म निर्वहन की शक्ति हमें धनलक्ष्मी से निहाल करती है।
जल लक्ष्मी
10. जल जीवन है और जीवन का संचालन लक्ष्मी के बिना संभव नहीं लक्ष्मी जल से ही प्रकट हुआ है इस अर्थ में जल ही लक्ष्मी है।
11. शरद पूर्णिमा की रात नारियल के जल से
उनकी पूजा मनोकामनाएं पूरी होती है और स्वच्छ जल की प्रवाहित नदियों में लक्ष्मी का वास माना गया है, उनके स्वामीनारायण जो नीर निवासी होने से नारायण और मेघो के रूप में प्रथ होने से विष्णु कहलाते हैं।
12. पृथ्वी से आकाश तक जल उसी तरह प्रचलित है जैसे देवी लक्ष्मी हैं जब हम जल का सदुपयोग करते हैं और शुद्ध स्वच्छ रहते हैं तो माननीय हम लक्ष्मी की पूजा ही करते हैं।
13. 2 गज लक्ष्मी का निरंतर जलाभिषेक करते हैं और रत्नाकर प्रदत्त रत्न ही उनके अलंकार हैं यह सभी प्रतीक बताते हैं कि संसार में जल ही लक्ष्मी हैं जल से ही जीवन अन्य उद्योग आदि संभव है।