Short Motivational & Inspirational stories in Hindi

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motivational & inspiring story : पिता दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते रहे, बेटा आईआईटी से बना इंजीनियर

बात लगभग 8 साल पुरानी है। सुपर 30 में कुछ दिनों तक लगातार पढ़ाने के बाद मैंने बच्चों से कहा कि परसों मैथेमेटिक्स का टेस्ट होगा। जमकर तैयारी करो। देखता हूं कि इस बार सबसे अच्छा किसका प्रदर्शन होता है।

इसके बाद क्या, सभी बच्चों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। अब एक ही दिन बचा था टेस्ट में। बच्चे पढ़ाई कर रहे थे कि अचानक लगभग 8 बजे रात में शार्ट-सर्किट हुआ और फिर तेज आवाज के साथ बिजली गुल हो गई। उमस भरी गर्मी और घनघोर अंधेरा। बच्चे परेशान हो गए।

रात में कोई भी नहीं मिल रहा था जो इस गड़बड़ी को ठीक कर दे। तभी अभिषेक कुमार ने कुछ ही देर में थोड़े से जुगाड़ वाले औजार से मरम्मत कर दी और बिजली आ गई।

मैं हैरान था कि अभिषेक को बिजली बत्ती के बारे में इतनी जानकारी कैसे है। जब टेस्ट खत्म हो गया तब मैंने उससे जानकारी लेने के लिए पूछा। अभिषेक की आंखों में आंसू आ गए। फिर उसने पूरी कहानी बताई

बिहार के गया जिला के रहने वाले रामेश्वर मिस्त्री आर्थिक अभावों के बावजूद अपने बेटे घनश्याम को पढ़ाना चाहते थे। तमाम प्रयासों के बावजूद उनका सपना पूरा नहीं हो सका। कुछ दिनों के बाद उन्होंने अपने बेटे की शादी कर दी।

रामेश्वर मिस्त्री गुजर गए थे और घनश्याम के लिये चार बच्चों के साथ गांव में रहना मुश्किल हो रहा था। रोजी-रोजगार की • खोज में वे झारखंड के धनबाद शहर आ गए। जो काम

मिलता था करते थे। खूब मेहनत करते। उनका बेटा अभिषेक बड़ा होनहार था। पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ता था। कुछ दिनों बाद अभिषेक के पिता घनश्याम को काम मिलना बंद हो गया। लेकिन, उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

 

पेन का रिफिल बनाकर बेचने लगे। दिनभर रिफिल बनाते थे और शाम को घूम घूमकर दुकानदारों को देने जाते थे। जब रात में थक कर घर आते और अभिषेक को ध्यानमग्न होकर पढ़ाई करते देखते तो उनकी सारी थकान दूर हो जाती थी।

 

धीरे-धीरे वक्त बीतता जा रहा था और अब अभिषेक दसवीं कक्षा में पहुंच गया था। परिवार की उम्मीदें काफी बढ़ गई थी। लेकिन वक्त ने एक बार फिर से दगा दिया। अब तक लिखो-फेको कलम बाजार में आ चुकी थी।

रिफिल की कोई जरूरत नहीं थी। सस्ती भी थी। अभिषेक के पिता का व्यवसाय बंद हो गया। परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ भी एक चुनौती बन गई थी।

लेकिन उन्होंने फिर से हिम्मत जुटाई और बिजली मिस्त्री का काम शुरू कर दिया। घर-घर जाकर बिजली-बत्ती का काम करने लगे। अभिषेक पूरी ताकत के साथ तैयारी कर रहा था। गणित के सवालों को हल करने के लिए कागज नहीं होते तब

 

रद्दी कागज के बची हुई जगह पर ही लिखता रहता था। अब अभिषेक दसवीं की परीक्षा पास कर गया था और इंजीनियर बनने का सपना देख रहा था।

 

पैसे नहीं थे कि कोई कोचिंग जॉइन कर सके। बावजूद इसके हौसले कभी यस्त नहीं हुए। खुद से पढ़ता रहता था। एक दिन किसी ने उसके पिता को सुपर 30 के बारे में बताया। यह

महज संयोग की बात थी कि मैं उस समय बच्चों के टेस्ट के लिए धनबाद गया हुआ था। अभिषेक से मुलाकात हो गई और वह मेरा शिष्य हो गया। बहुत ही मिलनसार स्वभाव का था अभिषेक। सुपर 30 के सभी बच्चे उसके दोस्त बन गए थे।

शिवांगी को बहन बना लिया था। उसने कहा कि सर चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपनी अंतिम ताकत लगा दूंगा लेकिन अपने पिता और आपको कभी निराश नहीं करूंगा। उसकी बातें सुनकर मुझे पिता याद आ गए।

अभिषेक की बातें सच भी हो गई। जब रिजल्ट आया तब पता चला कि उसका सलेक्शन आईआईटी में हो गया था। वह बहुत खुश था रिजल्ट के दिन। झूम रहा था।

अब फिर से एक बार वक्त बदल गया है। इस बार बदलाव बड़ा सकारात्मक है। पढ़ाई पूरी होने के बाद अभिषेक की बहुत अच्छी नौकरी लगी

 

है। साथ ही साथ अभिषेक के पिता की भी नौकरी झारखण्ड के बिजली विभाग में बतौर मिस्त्री लग गई है।

 

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के साथ यह भी जाने सुपर-30 के आनंद कुमार के शब्दों में

सफलता का कोई फॉर्मूला नहीं होता, कड़ी मेहनत ही इसका एक मात्र रास्ता है

अक्सर लोग मुझसे पूछते हैं कि में सफल होने के लिए क्या करू लोग यह जानना चाहते हैं की ऐसा कौन सा फॉर्मूला है, जिससे सफलता मिले में सभी को यह साफ तौर पर बताना चाहता हूँ कि सफलता का कोई फॉर्मूला नहीं होता सिवाय

कड़ी मेहनत के अपने अनुभव के आधार पर मैं यह कहता हूँ की सफलता का फॉर्मूला तलाशने की जगह अपने जीवन में कुछ बातों को अपना कर सफलता हासिल कर सकते हैं। जिस क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं उसके लिए

आपके अंदर तील इच्छा शक्ति होनी हिए दिन रात वह विषय आपके मन में बसा रहना चाहिए। सुबह से शाम तक आपके अंदर उसी विषय की चिंता बनी रहे, जिसमें आप सफल होना चाहते एक सेमिनार के दौरान एक बच्चों ने पूछा कि मैं कौन सा टेस्ट सीरीज जॉइन कर यह जान सकती हूँ

कि मुझे आईआईटी की परीक्षा में सफलता मिलेगी या नहीं। मैंने उससे कहा कि इसके लिए किसी टेस्ट सीरीज को जॉइन करने जरूरत नहीं है। अस या देखो की दिन रात तुम्हारे मन में क्या चलता है।

क्या तुम आईआईटी परीक्षा को लेकर हर वक्त सोचती रहती हो, क्या आईआईटी की परीक्षा पास करने के लिए तुम्हारे अंदर तीव्र इच्छा महसूस होती रहती ?

अगर ऐसा है तो तुम्हें एक दिन आईआईटी को परीक्षा में सफलता अवश्य मिलेगी। हमें हमेशा पॉजिटिव सोच के साथ अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। जीवन में समाज में आशा और निराशा दोनों साथ चलते रहते हैं। पर सफल व्यक्ति निराशा को पीछे छोड़कर आशा के साथ बड़ता है।

कभी भी असफल लोगों के उदाहरण को नहीं देखें। हमेशा सफल लोगों के बारे में जाने, उनके बारे में पढ़ कर उनसे प्रेरणा लें। ऐसे लोगों की जीवनी को पढ़े जो काफी कम

सुविधा के बावजूद भी अपने क्षेत्र में सफल रहे। सफलता के लिए कठिन मेहनत के साथ लगातार प्रयास करते रहें। मेहनत का दूसरा कोई विकल्प नहीं सिवाय सिर्फ और सिर्फ मेहनत के। इंसान तपने के बाद ही सोना बन सकता है।

सुपर 30 की सफलता मेरी वजह से नहीं बल्कि बच्चों की मेहनत की वजह से है। एक बात का ख्याल रखें की असफलता से निराश होने की जगह उससे कुछ सीख लें। अपनी छोटी सफलता की जगह असफलताओं की सूची बनाएं और उसका विश्लेषण करें।

अपनी सफलता से सोख लेकर आगे बढ़ें उन बातों की पुनरावृति नहीं होने दें, जिससे असफलता मिली। सफलता हासिल करने के लिए आपके अंदर असीम धैर्य का होना बहुत आवश्यक है।

खुद के कठिन प्रयास पर यकीन होना चाहिए। कठिन सवाल और कठिन वक्त से घबराएं नहीं बस याद रखें की लगन के साथ कठिन प्रयास जारी रहा तो सफलता हर हाल में मिलेगी।